‘सहकार भारती’ संरचना को उत्तर प्रदेश में प्रस्थापित करने के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं की नितांत आवश्यकता सदैव रहेगी अन्य कार्यकर्ता भी अपना-अपना योगदान देते ही रहते हैं परंतु संस्था के विचारों के लिए सर्वस्व अर्पण करने वाले कार्यकर्ताओं के बल पर ही संगठन खड़ा रहता है और उसका विस्तार होता हैं।
सहकार क्षेत्र में विलक्षण शक्ति है। बचपन में सभी ने एक और अनेक लकड़ियों की शक्ति की कहानी सुनी होगी। जिसमें पिता अपने बेटे को एक लकड़ी तोड़ने के लिए कहते हैं। वह आसानी से टूट जाती है लेकिन जब उन्हें बहुत सारी लकड़ियों को एक साथ तोड़ने के लिए कहा जाता है, तो उन्हें तोड़ना बहुत मुश्किल होता है। यही संगठन शक्ति है। अकेले व्यक्ति के सदविचारों की शक्ति मर्यादित होती है, लेकिन इसे जैसे ही संगठन की ताकत मिल जाएगी तो एक सकारात्मक शक्ति स्रोत के रूप में जागृत होती हैं। जो दुर्गुणों, काले व्यवहारों, अनुचित प्रकारों को रोक सकती है। सकरात्मकता की यही संगठित शक्ति ‘सहकार भारती’ के रूप से बलशाली हुई है और उसी के द्वारा निर्माण होने वाले दबाव से सहकारिता क्षेत्र की शुद्धि भी होगी और यह क्षेत्र बलशाली होकर सरकार क्षेत्र से जो अपेक्षित है वह सभी प्रकार की मूल्यवान भूमिका यकीनन अदा करेगा लेकिन यह तब संभव है जब संगठन के विचारों के समर्थन में जुड़ने वालों की संख्या अधिक से अधिक होती जायेगी। इसलिए ‘सहकार भारती’ की सदस्यता सहकार आंदोलन को और अधिक सुदृढ़ बनाने में सहयोगी साबित होगी।